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सफ़ेदपोश

  1212 1112 1212 22/112 सफ़दपोश(राजनेता) चुनाव आते ही वो जाल डाल देता है सफ़ेदपोश ये धोखे कमाल देता है जो आज चूमता है चोखटें गरीबों की गरीब गुरबों को वो घर से निकाल देता है फरेब खूब छलकता है उसकी आँखों से करे यकीन तो मुश्किल मे डाल देता है फलक से नूर जमीं पे उतार देगा इक आलू को दूसरा सोने मे ढाल देता है ठगा गया है हमेशा ही बेचारा मुफलिस  चुनाव मे वो गजब के ख्याल देता है   लगे कि अब के तो पाएंगे पार गर्दिश से बड़ी बड़ी सी वो “सावन” मिसाल देता है सावन चौहान कारोली 23-12-2018 https://sawankigazal.blogspot.com/2019/07/blog-post_19.html?m=1

मनीष तिवारी जी की किताब

  मनीष तिवारी और उनकी किताब '10 flash points : 20 years' 10 फ्लैश पॉइंट्स : 20 ईयर्स मनीष_तिवारी कॉन्ग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता है उन्होंने '10 फ्लैश पॉइंट्स : 20 ईयर्स' नाम की एक किताब लिखी जिसकी रिलीज डेट 2 दिसंबर 2021 है जिसकी रिलीज डेट से पहले ही भारतीय राजनीतिक गलियारों में बहुत ज्यादा शोर शराबा है दरअसल इस किताब में 26 नवंबर 2008 को हुए मुंबई आतंकी हमले में 166 निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी उस समय यूपीए गवर्नमेंट का शासन था और इस किताब के लेखक मनीष तिवारी जी तत्कालिक यूपीए गवर्नमेंट में कैबिनेट मंत्री थे उन्होंने उस समय की तत्कालिक यू पी ए गवर्नमेंट पर गंभीर आरोप लगाए हैं उन्होंने कहा है की जिस तरह का आतंकी हमला था जितने लोग इस हमले में मारे गए उस समय मनमोहन सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ एक उचित कठोर कार्रवाई करनी चाहिए थी जो कि नहीं की गई उन्होंने इस किताब में लिखा है कि इतना ज्यादा संयम और वह भी पाकिस्तान जैसे देश के लिए, हमारी एक बहुत बड़ी कमजोरी को दर्शाता है मनीष तिवारी जी ने 26/11 के उस आतंकी हमले को असहनीय और क्रूर हमला बताया है।              

वो सब कुछ देख रहा है

  वो सब कुछ देख रहा है ☝  वो  सब कुछ  देख रहा है । हाँ वो सब कुछ ☝☝ देख रहा है । ✍✍✍✍✍✍✍✍ उसे  अँधेरी रात में भी दिखता है । उसे बंद दरवाजे  के पीछे भी दिखता है । हाँ  ☝ वो परदों  के पीछे  होने वाले  हर अच्छे बुरे  को देख लेता है । ✍✍✍✍✍✍✍✍  ☝वो असीम है ।☝ ✍✍✍✍✍✍✍✍ तू  क्या  सोचता है । की जो तूने किया  उसे खबर नहीं  उसे , उसे किसी के जरिये कुछ जानने की जरुरत नहीं  वो हर जगह, हर वक्त, हर पल खुद सारे खेलों को देखता है । ✍✍✍✍✍✍✍✍ तेरी हर अच्छाई  तेरी हर बुराई को देख कर  वो तेरे कर्मों का निर्धारण करता है ☝☝☝☝☝☝☝☝ वो अंतर्यामी है । वो ही विधाता है ।  हाँ  हाँ वो ही विधाता है । उसके सामने तेरी कोई चालाकी तेरी कोई होशयारी और ना तेरी कोई  हेरा फेरी चलने वाली है वहाँ तेरे सारे प्रपंच सब व्यर्थ है ।  उसके सामने,  उसके सामने  ना झूठे दावे चलते है । और ना वहाँ कोई रिश्वत चलती है । वहाँ सब सामान है वहाँ  वहाँ सब को एक नजर से देखा जाता है  वो तो समदर्शी है और  हां वहाँ तेरे झूठे गवाह भी  नहीं चलेंगे उसकी आदालत में, उसकी  अदालत में  बस न्याय और  सिर्फ न्याय ही होता है  वहाँ  हर छोटे  से छोटे जुर्म  क

Old age home

 # वृद्ध आश्रम #अपना घर #old age home यह कुछ ऐसे शब्द है जब इनको सुनता हूं तो यह कवि-हृदय अंदर तक दहल उठता है और बरबस मेरा मन रोने लगता है  वाह रे आधुनिकता !                सचमुच इस दुनिया ने कितनी ज्यादा तरक्की कर ली खासकर मेरे हिंदुस्तान ने इस आधुनिकता की इस खोखली चकाचौंध में अपने संस्कार अपनी सभ्यता की आंख मूंदकर होली जला दी जिन माता पिता ने बड़े अरमानों के साथ अपने बच्चों की परवरिश की चाहे खुद भुखे सोए, चाहे खुद ने फटे कपड़े पहने, चाहे खुद नंगे पैर सर्दी गर्मी बरसात को झेला पर कभी भी अपने बच्चों को भूखा नहीं सोने दिया अच्छे से अच्छे कपड़े दिलाएं महंगे से महंगे जूते ला कर दिए और तो और महंगी से महंगी स्कूल में पढ़ाया चाहे कितना ही कर्ज अपने सर ढोना पड़ा चाहे उनके सामर्थ में था या नहीं था लेकिन सिर्फ इतना सा अरमान पाला कि बच्चे अच्छे पढ़ लिखकर कामयाब हो जाएं और हमें वृद्ध अवस्था में अच्छे से संभाल सके लेकिन,       लेकिन हम पढ़े भी हम बढे भी हमने खूब सारी तरक्की भी की लेकिन वो माता-पिता जिन्होंने हमारे लिए इतना कुछ त्याग, समर्पण किया और अपने ख्वाबों तक की तिलांजलि दे दी हो उनको हमने क्

बस यूं ही

  बस यूं ही हमारी सुनो । हम जो कहते हैं  बस वो सुनो हम जो कहते हैं  वो ही बस #सत्य है । बाकी सत्य भी #असत्य है । हमने कभी किसी की सुनी ही नहीं । हमें दूसरों को सुनने की आदत भी नहीं है  हमने हमेशा सुनाया ही है, सुना नहीं । हम दरअसल सुनाने के लिए ही पैदा हुए हैं और, और तुम बस सुनने के लिए । हमने जो किया वो समय की दरकार थी,उसके बारे में कुछ भी मत बोलो बस सुनो । उस # अमर्जेन्सी को भूल जाओ । उस का जिक्र भी जुबां पर मत लाओ, जो कभी मेरे आकाओं ने तुम पर थोपी थी, जिसमे वो हर #आवाज दबा दी गई थी जो, जो सत्ता की #खिलाफत में उठी , हर उंगली, जो हमारी ओर उठी, या तो काट दी गई या, या फिर तोड़ दी गई । जो कलम जिसने  # तानाशाह सत्ता को ललकारा उस कलम को या तो तोड़ दिया गया, या फिर कैद कर दिया गया, हमारे समय #अभिव्यक्ति की आजादी के कोई मायने नहीं थे। पत्रकार, मीडिया, मीडिया हाउस के सभी अधिकार खत्म कर दिए गए थे उसे गलती से भी मत याद करो उसका जिक्र भी गलत है और जिसने भी हमारी #चाटुकारिता की वो हमारा खास चहेता रहा उसे बड़े बड़े ओहदे, बड़े बड़े सम्मान बड़े बड़े पदक दिए गए उस समय #संविधान किसी तरह खतरे म